Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi: पुणे में हाल ही में ‘गुलियन-बैरे सिंड्रोम’ के मामलों ने सभी को चौंका दिया है। अब तक 67 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज की जान भी जा चुकी है। यह बीमारी दुर्लभ जरूर है, लेकिन खतरनाक भी हो सकती है। अगर समय पर इसका पता लग जाए और सही इलाज हो, तो इसे संभालना संभव है।
अगर आप इस बीमारी के बारे में नहीं जानते या इसके नाम से पहली बार परिचित हो रहे हैं, तो चिंता न करें। इस लेख में हम आपको आसान भाषा में बताएंगे कि यह बीमारी क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।
Contents
- 1 गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है? – What Is Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
- 2 गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण – Guillain Barre Syndrome GBS Symptoms In Hindi
- 3 यह बीमारी क्यों होती है? – Causes Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
- 4 गुलियन-बैरे सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? – Treatment Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
- 5 कैसे बचें इस बीमारी से? -How To Prevent Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
- 6 किन बातों से बचना चाहिए?
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है? – What Is Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारी इम्यूनिटी यानी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से हमारे अपने नसों पर हमला करने लगती है। इसका असर शरीर के तंत्रिका तंत्र (nervous system) पर होता है, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में सुन्नपन महसूस होने लगता है।
यह आमतौर पर किसी संक्रमण, जैसे सर्दी-जुकाम, फ्लू या डायरिया, के बाद शुरू हो सकता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह सांस लेने और दिल की धड़कन पर भी असर डाल सकता है।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण – Guillain Barre Syndrome GBS Symptoms In Hindi
इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। यहां इसके मुख्य लक्षण दिए गए हैं:
- कमजोरी और झनझनाहट: सबसे पहले पैरों में कमजोरी या झनझनाहट महसूस होती है, जो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगती है।
- सांस लेने में परेशानी: गंभीर मामलों में, यह फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- मांसपेशियों की कमजोरी: हाथ-पैर हिलाने में दिक्कत हो सकती है।
- चेहरे और मुंह पर असर: चेहरे की नसों में कमजोरी के कारण बोलने और निगलने में परेशानी हो सकती है।
- ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट का उतार-चढ़ाव: यह बीमारी आपके दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को भी अस्थिर कर सकती है।
यह बीमारी क्यों होती है? – Causes Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के पीछे मुख्य वजह किसी संक्रमण का होना माना जाता है। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं:
- श्वसन संक्रमण या फ्लू: सर्दी-जुकाम या फ्लू के बाद यह बीमारी हो सकती है।
- डायरिया: बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजूनी से होने वाला डायरिया इसका एक बड़ा कारण है।
- टीकाकरण: कुछ दुर्लभ मामलों में, वैक्सीन लेने के बाद भी यह बीमारी हो सकती है।
- वायरल संक्रमण: चिकनगुनिया या डेंगू जैसे संक्रमण भी इसके पीछे की वजह हो सकते हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? – Treatment Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
हालांकि, इस बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने और मरीज को ठीक करने के लिए कुछ चिकित्सा उपाय किए जाते हैं:
प्लाज्मा थेरेपी (Plasmapheresis)
इसमें मरीज के खून से हानिकारक एंटीबॉडी को हटाया जाता है, जो नसों पर हमला कर रही होती हैं।
इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG)
इसमें मरीज को स्वस्थ एंटीबॉडी दी जाती हैं, जो उसकी इम्यूनिटी को बैलेंस करती हैं।
फिजियोथेरेपी
मरीज की मांसपेशियों को फिर से मजबूत बनाने के लिए फिजियोथेरेपी बेहद जरूरी होती है।
सपोर्टिव केयर
गंभीर मामलों में, मरीज को वेंटिलेटर और हार्ट मॉनिटरिंग की जरूरत हो सकती है।
कैसे बचें इस बीमारी से? -How To Prevent Of Guillain Barre Syndrome GBS In Hindi
गुलियन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए आपको कुछ आदतें अपनानी होंगी। ये आसान टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं:
- हाथ साफ रखें: खाने से पहले और बाहर से आने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं।
- संतुलित आहार लें: ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं।
- पानी पिएं: खुद को हाइड्रेट रखें और साफ पानी ही पिएं।
- संक्रमण से बचाव करें: फ्लू और डायरिया से बचने के लिए सावधानी बरतें।
- नींद पूरी करें: रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
किन बातों से बचना चाहिए?
- शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
- जंक फूड और अधपके खाने से बचें।
- गंदे या संदिग्ध पानी से दूरी बनाएं।
निष्कर्ष
गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर लेकिन नियंत्रित होने वाली बीमारी है। सही समय पर लक्षणों को पहचानना और डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है। अगर आप पैरों में कमजोरी, झनझनाहट, या सांस लेने में दिक्कत महसूस करें, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सावधानी और सही आदतों से न केवल इस बीमारी से बचा जा सकता है, बल्कि आप अपनी सेहत को लंबे समय तक बेहतर बनाए रख सकते हैं। याद रखें, सेहत से बढ़कर कुछ नहीं!
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डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। इसे किसी पेशेवर चिकित्सक की सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता है। लेख की सटीकता और वास्तविकता को सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया गया है, लेकिन PoshanKey.com इसकी नैतिक जिम्मेदार नहीं लेता है। स्वास्थ्य, डाइट, लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज से जुड़ी किसी भी टिप्स या सलाह को फॉलो करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।